चाँद भी क्या खूब है,
न सर पर घूंघट है,
न चेहरे पे बुरखा,
कभी करवाचौथ का हो गया,
तो कभी ईद का,
ज़मीन पर होता तो टूटकर विवादों मे होता,
अदालत की सुनवाइयों मे होता,
अखबार की सुर्ख़ियों में होता,
शुक्र है आसमान में बादलों की गोद में है ।
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