चाँद भी क्या खूब है, न सर पर घूंघट है, न चेहरे पे बुरखा, कभी करवाचौथ का हो गया, तो कभी ईद का, ज़मीन पर होता तो टूटकर विवादों मे होता, अदालत की सुनवाइयों मे होता.
1 Stories
Will restore all stories present before deactivation.
It may take sometime to restore your stories.
Continue with Social Accounts
Facebook Googleor already have account Login Here