माया जाल बहुत दुखत, पीड़ा हो असहाय । मानुष जीव बह | हिंदी कविता

"माया जाल बहुत दुखत, पीड़ा हो असहाय । मानुष जीव बहुत कठिन, भवसागर में हाय। नयन विछोह बहे नीर, प्राण हुए बेचैन। सुत बिछड़न बरछी लगे, माँ का छीनत चैन। कृष्णा श्रीवास्तव, राज ©Krishna Shrivastav"

 माया जाल बहुत दुखत, पीड़ा हो असहाय ।

मानुष जीव बहुत कठिन, भवसागर में हाय।

नयन  विछोह  बहे  नीर,  प्राण  हुए  बेचैन।

सुत बिछड़न बरछी लगे, माँ का छीनत चैन।

कृष्णा श्रीवास्तव, राज

©Krishna Shrivastav

माया जाल बहुत दुखत, पीड़ा हो असहाय । मानुष जीव बहुत कठिन, भवसागर में हाय। नयन विछोह बहे नीर, प्राण हुए बेचैन। सुत बिछड़न बरछी लगे, माँ का छीनत चैन। कृष्णा श्रीवास्तव, राज ©Krishna Shrivastav

#NojotoRamleela

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