आज का युग बेरोजगारी से तंग है, हर पढ़े लिखे पर देत | हिंदी Poetry

"आज का युग बेरोजगारी से तंग है, हर पढ़े लिखे पर देते हैं सभी व्यंग है, आज का नौजवान नौकरी की कोशिश करता है, पल पल नौकरी की तलाश में जीता मरता है, आज के युग में बेरोजगारी, बन गयी है सबकी समस्या भारी, ले ली एमए बीए की डिग्री, तब भी दिमाग में है नौकरी की फ़िक्री, सोचा था पढ़ लिख कर मिल जायेगी नौकरी, बेरोजगारी इतनी की मिली ना अभी नौकरी, जनसँख्या दिन प्रति दिन बढ़ती जा रही है, सुरसा के मुख सी बेरोजगारी बढ़ती जा रही है, पढ़े लिखे भी आज कल घर बैठे हैं, अपने सपनो की गठरी ले कर लेटे हैं, एक नौकरी के लिए हज़ार उम्मीदवार हैं, मन का मिलता नहीं आज रोजगार है, रात भर करवट बदलते रहते हैं, कब किस्मत जागेगी सोचते रहते हैं, अच्छे रोजगार की तलाश हमेशा रहती है, बेरोजगारी रोज़ डंक मारती रहती हैं, शिक्षा जरुरी है सभी के लिए, नौकरी जरुरी है कमाई के लिए, बेरोजगारी जब जल्द खत्म हो जाएगी, सब जगह तब खुशहाली हो जाएगी, ©पूर्वार्थ"

 आज का युग बेरोजगारी से तंग है,
हर पढ़े लिखे पर देते हैं सभी व्यंग है,
आज का नौजवान नौकरी की कोशिश करता है,
पल पल नौकरी की तलाश में जीता मरता है,

आज के युग में बेरोजगारी,
बन गयी है सबकी समस्या भारी,
ले ली एमए बीए की डिग्री,
तब भी दिमाग में है नौकरी की फ़िक्री,

सोचा था पढ़ लिख कर मिल जायेगी नौकरी,
बेरोजगारी इतनी की मिली ना अभी नौकरी,
जनसँख्या दिन प्रति दिन बढ़ती जा रही है,
सुरसा के मुख सी बेरोजगारी बढ़ती जा रही है,
पढ़े लिखे भी आज कल घर बैठे हैं,
अपने सपनो की गठरी ले कर लेटे हैं,
एक नौकरी के लिए हज़ार उम्मीदवार हैं,
मन का मिलता नहीं आज रोजगार है,

रात भर करवट बदलते रहते हैं,
कब किस्मत जागेगी सोचते रहते हैं,
अच्छे रोजगार की तलाश हमेशा रहती है,
 बेरोजगारी रोज़ डंक मारती रहती हैं,

शिक्षा जरुरी है सभी के लिए,
नौकरी जरुरी है कमाई के लिए,
बेरोजगारी जब जल्द खत्म हो जाएगी,
सब जगह तब खुशहाली हो जाएगी,

©पूर्वार्थ

आज का युग बेरोजगारी से तंग है, हर पढ़े लिखे पर देते हैं सभी व्यंग है, आज का नौजवान नौकरी की कोशिश करता है, पल पल नौकरी की तलाश में जीता मरता है, आज के युग में बेरोजगारी, बन गयी है सबकी समस्या भारी, ले ली एमए बीए की डिग्री, तब भी दिमाग में है नौकरी की फ़िक्री, सोचा था पढ़ लिख कर मिल जायेगी नौकरी, बेरोजगारी इतनी की मिली ना अभी नौकरी, जनसँख्या दिन प्रति दिन बढ़ती जा रही है, सुरसा के मुख सी बेरोजगारी बढ़ती जा रही है, पढ़े लिखे भी आज कल घर बैठे हैं, अपने सपनो की गठरी ले कर लेटे हैं, एक नौकरी के लिए हज़ार उम्मीदवार हैं, मन का मिलता नहीं आज रोजगार है, रात भर करवट बदलते रहते हैं, कब किस्मत जागेगी सोचते रहते हैं, अच्छे रोजगार की तलाश हमेशा रहती है, बेरोजगारी रोज़ डंक मारती रहती हैं, शिक्षा जरुरी है सभी के लिए, नौकरी जरुरी है कमाई के लिए, बेरोजगारी जब जल्द खत्म हो जाएगी, सब जगह तब खुशहाली हो जाएगी, ©पूर्वार्थ

#बेरोजगार

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