मन की आखों से देखों क्योंकि उपर वाला निचे वाला
जाति घरम का बोल वाला
काला धन और काला धन
कैसा होता है ये उजला धन
उपर निचे के बिच मे
पिसता हर वक्त मध्यम वर्ग
बड़े बड़े दिग्गज बैठे
ऑखे बिन जग को देखे
स्नेह लगाव सब मटिया मेल
उलझे है अपने आप मे सब जन
मन के ऑगन का दवार खोल
दिखेंगे सब तोल मोल
क्योकि मन मे ही है सारे झोल
©Jyoti Gupta
#AdhureVakya