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Jyoti Gupta
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मन की आखों से देखों क्योंकि उपर वाला निचे वाला जाति घरम का बोल वाला काला धन और काला धन कैसा होता है ये उजला धन उपर निचे के बिच मे पिसता हर वक्त मध्यम वर्ग बड़े बड़े दिग्गज बैठे ऑखे बिन जग को देखे स्नेह लगाव सब मटिया मेल उलझे है अपने आप मे सब जन मन के ऑगन का दवार खोल दिखेंगे सब तोल मोल क्योकि मन मे ही है सारे झोल ©Jyoti Gupta
71 Love
ना आंखे रोती है ना जुबा लड़खराती है उम्र सब के पास है जवानी अभी भी बाकी है फिर ये कैसा मंजर जो किया हम सबको जरजर हमारा बोया विज्ञान है साधनो से भरा संसार है फिर ये कैसा वार है ना तलवार है ना भाल कतार चलता फिरता हवा फिर भी आॅक्सीजन समाधान है रोते बिलखते परिजन कोइ नही उपचार है वार बरी आसान है सब पर भारी इसका प्रहार है नाम भी इसका "को-रोना" 'को' से कोइ नही सबको यहाॅ है रोना ©Jyoti Gupta
148 Love
Pure Love pure love never end pure love never demand only feel feel and feel ©Jyoti Gupta
135 Love
पाँच शब्दों में बतायें 'साथ' क्या है? साथी संग शुकून शूरत और सिरत ©Jyoti Gupta
122 Love
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