क्या होता है जब "रास्ते साफ़" होते हुए भी मंजिल नह

"क्या होता है जब "रास्ते साफ़" होते हुए भी मंजिल नहीं मिलती ? इस्लाम का अर्थ है "सलामती अर्थात भलाई" मात्र कुछेक धार्मिक बातों का मान लेना या उन के अनुसार जीवनयापन करना जैसे ईमान, सलात या नमाज़, रोज़े, ॹकात और हज कर लेना ही पूर्ण इस्लाम "सिरात अल मुस्तकीम" नहीं है बल्कि सम्पूर्ण जीवन को जिहाद ( STRIVE ) करते हुए शान्ति व्यवस्था,न्याय और दूसरे इंसानों के अधिकारों को न्यायोचित ठहरा कर उनको पूरा करना ही नहीं प्रत्येक स्थिति में समृद्धि और विकास के पथ पर अपने रचियता और मालिक के बताये हुए नियमों पर अग्रसर रहकर समाज में उनका पालन करना ही इस्लाम है। ©Mohammed Shamoon"

 क्या होता है जब "रास्ते साफ़" होते हुए भी मंजिल नहीं मिलती ?
इस्लाम का अर्थ है "सलामती अर्थात भलाई"
मात्र कुछेक धार्मिक बातों का मान लेना या उन के अनुसार जीवनयापन करना जैसे ईमान, सलात या नमाज़, रोज़े, ॹकात और हज कर लेना ही पूर्ण इस्लाम "सिरात अल मुस्तकीम" नहीं है बल्कि सम्पूर्ण जीवन को जिहाद ( STRIVE ) करते हुए शान्ति व्यवस्था,न्याय और दूसरे इंसानों के अधिकारों को न्यायोचित ठहरा कर उनको पूरा करना ही नहीं प्रत्येक स्थिति में समृद्धि और विकास के पथ पर अपने रचियता और मालिक के बताये हुए नियमों पर अग्रसर रहकर समाज में उनका पालन करना ही इस्लाम है।

©Mohammed Shamoon

क्या होता है जब "रास्ते साफ़" होते हुए भी मंजिल नहीं मिलती ? इस्लाम का अर्थ है "सलामती अर्थात भलाई" मात्र कुछेक धार्मिक बातों का मान लेना या उन के अनुसार जीवनयापन करना जैसे ईमान, सलात या नमाज़, रोज़े, ॹकात और हज कर लेना ही पूर्ण इस्लाम "सिरात अल मुस्तकीम" नहीं है बल्कि सम्पूर्ण जीवन को जिहाद ( STRIVE ) करते हुए शान्ति व्यवस्था,न्याय और दूसरे इंसानों के अधिकारों को न्यायोचित ठहरा कर उनको पूरा करना ही नहीं प्रत्येक स्थिति में समृद्धि और विकास के पथ पर अपने रचियता और मालिक के बताये हुए नियमों पर अग्रसर रहकर समाज में उनका पालन करना ही इस्लाम है। ©Mohammed Shamoon

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