में अपना ही गुलाम न होता अगर में आदतो का मोहताज न होता,
हिम्मत रखता में हर सुबह चलने की आदतों के बावजूद पंख फैलाने की,
मगर आदत है मुझे बिस्तर में 2 पल ओर सो जाने की, काश आदत होती मुझे आदते छुड़ाने की,
मगर आदत है मुझे आदतो का मोहताज हो जाने की।
"जस्बात"