थोड़ा सा थक जाता हूं मे इसलिए दूर निकलना छोड़ दिया है पर ऐसा नही है कि अब मेने चलना छोड़ दिया है,
माना फसले अक्सर रिश्तों में दूरियां बड़ा देते हैं पर ऐसा नही है की अपनो से मिलना छोड़ा दिया है,
माना जरा सा अकेला महसूस करता हु खुदको अपनो की ही भीड़ में पर ऐसा नही की मेने अपना पन ही छोड़ दिया है,
याद तो करता हु सभी को ओर परवाह भी करता हु अपनो की पर कितनी करता हु ये सब को बताना छोड़ दिया है,
बेशक थोड़ा सा थक जाता हूं में इसीलिये दूर चलना छोड़ दिया है।
"पण्डित के जस्बात"
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