में अपना ही गुलाम न होता अगर में आदतो का मोहताज न होता,
हिम्मत रखता में हर सुबह चलने की आदतों के बावजूद पंख फैलाने की,
मगर आदत है मुझे बिस्तर में 2 पल ओर सो जाने की, काश आदत होती मुझे आदते छुड़ाने की,
मगर आदत है मुझे आदतो का मोहताज हो जाने की।
"जस्बात"
में अपना ही गुलाम न होता अगर में आदतो का मोहताज न होता,
हिम्मत रखता में हर सुबह चलने की आदतों के बावजूद पंख फैलाने की,
मगर आदत है मुझे बिस्तर में 2 पल ओर सो जाने की, काश आदत होती मुझे आदते छुड़ाने की,
मगर आदत है मुझे आदतो का मोहताज हो जाने की।
"जस्बात"
Continue with Social Accounts
Facebook Googleor already have account Login Here