सुनो......
सिर्फ ज़िस्म ही नहीं रूह भी छू सको तो इश्क़ करना...
कपड़े उतारना वफ़ा नहीं लाज बचा सको तो इश्क करना...
हज़ारों की भीड़ में हक़ से हाथ थाम सको तो इश्क़ करना...
वो मेरी है नहीं मैं उसका हूं कह सको तो इश्क़ करना...
उसके बाद उसकी यादों में सवंर सको तो इश्क़ करना...
वरना इश्क़ तो सब करते है,,
उसे खोकर भी उसे बेवफा न कह सको तो इश्क़ करना..
*जय"
#InspireThroughWriting