करवट बदल बदल के शबे हिज़्र सोचना उसके ही बाद वस्ल | हिंदी Shayari

"करवट बदल बदल के शबे हिज़्र सोचना उसके ही बाद वस्ल की सूरत को देखना थोड़ा बहुत ख्याल भी क़द का नहीं रहे तुम जब कोई सवाल मेरा मुझसे पूछना बदलाव तुझको तुझमें दिखाई नहीं दिए तू अब दुबारा चाक पे हरगिज न घूमना लफ़्ज़ों का इस्तेमाल ज़रा एहतियात से इज़्ज़त बिगाड़ देगा ये हर वक़्त बोलना आँखों को मूँद लेना जो दरकार हो मिलन कर के तमाम मंदिरो मस्जिद को ढूँढना ©आदर्श दुबे"

 करवट बदल बदल के शबे हिज़्र सोचना  
उसके ही बाद वस्ल की सूरत को देखना   

थोड़ा  बहुत ख्याल भी क़द का नहीं रहे  
तुम जब कोई  सवाल मेरा मुझसे पूछना

बदलाव तुझको तुझमें दिखाई नहीं दिए 
तू  अब  दुबारा चाक पे हरगिज न घूमना 

लफ़्ज़ों का इस्तेमाल ज़रा एहतियात से  
इज़्ज़त बिगाड़ देगा ये हर वक़्त बोलना 

आँखों को मूँद लेना जो दरकार हो मिलन  
कर के तमाम  मंदिरो मस्जिद को ढूँढना

©आदर्श दुबे

करवट बदल बदल के शबे हिज़्र सोचना उसके ही बाद वस्ल की सूरत को देखना थोड़ा बहुत ख्याल भी क़द का नहीं रहे तुम जब कोई सवाल मेरा मुझसे पूछना बदलाव तुझको तुझमें दिखाई नहीं दिए तू अब दुबारा चाक पे हरगिज न घूमना लफ़्ज़ों का इस्तेमाल ज़रा एहतियात से इज़्ज़त बिगाड़ देगा ये हर वक़्त बोलना आँखों को मूँद लेना जो दरकार हो मिलन कर के तमाम मंदिरो मस्जिद को ढूँढना ©आदर्श दुबे

करवट बदल बदल के शबे हिज़्र सोचना
उसके ही बाद वस्ल की सूरत को देखना j

थोड़ा बहुत ख्याल भी क़द का नहीं रहे
तुम जब कोई सवाल मेरा मुझसे पूछना

बदलाव तुझको तुझमें दिखाई नहीं दिए
तू अब दुबारा चाक पे हरगिज न घूमना

People who shared love close

More like this

Trending Topic