पराजय और असफलता झूठों और मक्कारी की अति ( इंतहा ) ?
जैसा इस स्वतंत्रता संग्राम सेनानी लाला लाजपत राय जी को आप देख रहे हैं क्या यह भी "आंदोलन जीवी" थे प्रधान सेवक और चौकीदार महोदय !
यह तो समस्त देशवासियों को अब तक मालूम हो ही चुका है कि आप और आपका पूरा टोला झूठ बोलने और झूठ फैलाने में बड़ी महारत रखता है। साथ ही अन्याय, अत्याचार और हिंसा, षड्यंत्र एवं कुचक्र में भी आप लोगों का कोई सानी (बराबर) नहीं है।
अपने मुंह मियां मिट्ठू बन कर आज भी देश द्रोहियों देश को धोखा देने वालों आप "श्रमजीवी और बुद्धि जीवी" कहां? आप तो मूरखाधिराजो की तरह बिना श्रम और "चालाकी" के सहारे नर सऺघार कराते हुए सत्ता पर कब्ज़ा करके बैठ गये हो और उसी का पूर्ण दुरूपयोग करके हटने को तैयार नहीं हो, अगर आप सच्चे होते तो अभी तक अपनी "पराजय और असफलता" को स्वीकार करते हुए त्यागपत्र दे कर देश का सर्वनाश न करते रहते।
"फारेन डेस्टरक्टिव आइडियोलॉजी" अपने "मेंटरो" से षूछो आर एस एस के अलावा किसके पास है ? किसी के पास नहीं ! ये नाज़ी और जर्मनी के फारेनर नहीं ?
©Mohammed Shamoon
#LalaLajpatRai