बारी जब मेरी तारीफ की आयी, रातो-रात अख़बार बदल गए थ | हिंदी शायरी

"बारी जब मेरी तारीफ की आयी, रातो-रात अख़बार बदल गए थे ,, बोली जब मेरे हुनर की लगी, देखते ही देखते बाजार बदल गए थे ,, किसी को अपना कहने से पहले सोचना जरूर शायर! गुरबत के दिनों ने जब घेरा था मुझे वो अपने और वो सारे रिस्तेदार बदल गए थे .... k ©prakash"

 बारी जब मेरी तारीफ की आयी,
रातो-रात अख़बार बदल गए थे ,,

बोली जब मेरे हुनर की लगी,
देखते ही देखते बाजार बदल गए थे ,,

किसी को अपना कहने से पहले सोचना जरूर
शायर!
गुरबत के दिनों ने जब घेरा था मुझे
वो अपने और वो सारे रिस्तेदार बदल गए थे ....






k

©prakash

बारी जब मेरी तारीफ की आयी, रातो-रात अख़बार बदल गए थे ,, बोली जब मेरे हुनर की लगी, देखते ही देखते बाजार बदल गए थे ,, किसी को अपना कहने से पहले सोचना जरूर शायर! गुरबत के दिनों ने जब घेरा था मुझे वो अपने और वो सारे रिस्तेदार बदल गए थे .... k ©prakash

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