सो चुकी है कलम तेरी, 
आलसी तेरी स्याही हो रही है
स
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 तूम हो morden आज सी,मै बीते पुराने कल सा हूं 
तुम हो बर्गर पिज़्ज़ा सी,मै घर के दाल चावल सा हूं,!!

तुम अतरंगी पेहनावा हो,मै कुरता धोती जैसा हूं
तुम शाही पकवान हो प्रिये,मै सुखी रोटी जैसा हूं,,!!

तुम मखमल का कोमल सिरहाना,मै फटी पुरानी चादर हूं
तुम हेलो- हाय का नया रीवाज़,मै पाँव चुने का आदर हूं,,!!

तुम पेहनो ब्रांडेड सैंडल ,मै घिसी टूटी चप्पल हूं 
तुम भाग्यशाली तुम भाग्यवान,मै बदकिस्मती मे अव्वल हूं ,,!!

असंभव से इस मेल ने असमंजस मे मुझको डाला है
प्रेम बड़ा या भाग्य बड़ा ये प्रश्न अति निराला है,,!!

तुम्हारी मेहंगी कार प्रिये,मै एक टूटी फूटी सायकल सा हूं,

तुम हो burrger pizza सी,मै घर के दाल चावल सा हूं,,!!





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©prakash

तूम हो morden आज सी,मै बीते पुराने कल सा हूं तुम हो बर्गर पिज़्ज़ा सी,मै घर के दाल चावल सा हूं,!! तुम अतरंगी पेहनावा हो,मै कुरता धोती जैसा हूं तुम शाही पकवान हो प्रिये,मै सुखी रोटी जैसा हूं,,!! तुम मखमल का कोमल सिरहाना,मै फटी पुरानी चादर हूं तुम हेलो- हाय का नया रीवाज़,मै पाँव चुने का आदर हूं,,!! तुम पेहनो ब्रांडेड सैंडल ,मै घिसी टूटी चप्पल हूं तुम भाग्यशाली तुम भाग्यवान,मै बदकिस्मती मे अव्वल हूं ,,!! असंभव से इस मेल ने असमंजस मे मुझको डाला है प्रेम बड़ा या भाग्य बड़ा ये प्रश्न अति निराला है,,!! तुम्हारी मेहंगी कार प्रिये,मै एक टूटी फूटी सायकल सा हूं, तुम हो burrger pizza सी,मै घर के दाल चावल सा हूं,,!! p ©prakash

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बारी जब मेरी तारीफ की आयी, रातो-रात अख़बार बदल गए थे ,, बोली जब मेरे हुनर की लगी, देखते ही देखते बाजार बदल गए थे ,, किसी को अपना कहने से पहले सोचना जरूर शायर! गुरबत के दिनों ने जब घेरा था मुझे वो अपने और वो सारे रिस्तेदार बदल गए थे .... k ©prakash

#शायरी  बारी जब मेरी तारीफ की आयी,
रातो-रात अख़बार बदल गए थे ,,

बोली जब मेरे हुनर की लगी,
देखते ही देखते बाजार बदल गए थे ,,

किसी को अपना कहने से पहले सोचना जरूर
शायर!
गुरबत के दिनों ने जब घेरा था मुझे
वो अपने और वो सारे रिस्तेदार बदल गए थे ....






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बारी जब मेरी तारीफ की आयी, रातो-रात अख़बार बदल गए थे ,, बोली जब मेरे हुनर की लगी, देखते ही देखते बाजार बदल गए थे ,, किसी को अपना कहने से पहले सोचना जरूर शायर! गुरबत के दिनों ने जब घेरा था मुझे वो अपने और वो सारे रिस्तेदार बदल गए थे .... k ©prakash

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आँखों की मासूमियत पर नहीं, नजर तेज पंजो पे रख, यहाँ खरगोश की खाल मे शिकारी बहोत है चेहरे पर मुस्कुराहट और दिल मे खंजर लेकर चलते है ये, ज़माने मे दिखावे की बीमारी बहोत है तन ढकने के कपडे से मन परखने वालों, जरा ध्यान से यहाँ सूट-बूट पहनकर घूमते भिखारी बहोत है... k ©prakash

#जानकारी  आँखों की मासूमियत पर नहीं, नजर तेज पंजो पे रख,
यहाँ खरगोश की खाल मे शिकारी बहोत है

चेहरे पर मुस्कुराहट और
 दिल मे खंजर लेकर चलते है ये,
 ज़माने मे दिखावे की बीमारी बहोत है

तन ढकने  के कपडे से मन परखने वालों,
जरा ध्यान से
यहाँ सूट-बूट पहनकर घूमते भिखारी बहोत है...




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आँखों की मासूमियत पर नहीं, नजर तेज पंजो पे रख, यहाँ खरगोश की खाल मे शिकारी बहोत है चेहरे पर मुस्कुराहट और दिल मे खंजर लेकर चलते है ये, ज़माने मे दिखावे की बीमारी बहोत है तन ढकने के कपडे से मन परखने वालों, जरा ध्यान से यहाँ सूट-बूट पहनकर घूमते भिखारी बहोत है... k ©prakash

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इस तरह मशरूफ़ हुँ जिंदगी बनाने मे शायर, ये भी भूल गया हुँ के जीना किसे कहते है... k ©prakash

#शायरी  इस तरह मशरूफ़ हुँ जिंदगी बनाने मे शायर,
ये भी भूल गया हुँ के जीना किसे कहते है...












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इस तरह मशरूफ़ हुँ जिंदगी बनाने मे शायर, ये भी भूल गया हुँ के जीना किसे कहते है... k ©prakash

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सो चुकी है कलम तेरी, आलसी तेरी स्याही हो रही है सुस्त पलके तेरी आँखों से हट नहीं रही शायर, देख! जहाँ मे तबाही हो रही है k ©prakash

#शायरी  सो चुकी है कलम तेरी, 
आलसी तेरी स्याही हो रही है
सुस्त पलके तेरी आँखों से हट नहीं रही शायर, 
देख!
जहाँ मे तबाही हो रही है









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सो चुकी है कलम तेरी, आलसी तेरी स्याही हो रही है सुस्त पलके तेरी आँखों से हट नहीं रही शायर, देख! जहाँ मे तबाही हो रही है k ©prakash

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