सो चुकी है कलम तेरी, आलसी तेरी स्याही हो रही है स | हिंदी शायरी

"सो चुकी है कलम तेरी, आलसी तेरी स्याही हो रही है सुस्त पलके तेरी आँखों से हट नहीं रही शायर, देख! जहाँ मे तबाही हो रही है k ©prakash"

 सो चुकी है कलम तेरी, 
आलसी तेरी स्याही हो रही है
सुस्त पलके तेरी आँखों से हट नहीं रही शायर, 
देख!
जहाँ मे तबाही हो रही है









k

©prakash

सो चुकी है कलम तेरी, आलसी तेरी स्याही हो रही है सुस्त पलके तेरी आँखों से हट नहीं रही शायर, देख! जहाँ मे तबाही हो रही है k ©prakash

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