हर आदमी तस्बीह में दाने की तरह है ये सारा | हिंदी Shayari

"हर आदमी तस्बीह में दाने की तरह है ये सारा जहां एक घराने की तरह है हर सांस मेरी उसकी हिफ़ाज़त पे है मामूर इक याद मेरे दिल में ख़ज़ाने की तरह है है कुछ तो हक़ीक़त भी फ़साने में हमारे लेकिन वो हक़ीक़त भी फ़साने की तरह है क्यूँ उनको समझता है ज़माने से निराला तू जिनके लिए सारे ज़माने की तरह है पल्कों के झपकते ही दिखाई नहीं देता आना भी तेरा ख़्वाब में आने की तरह है ©Tarique Sayeed Usmani"

 हर  आदमी  तस्बीह  में  दाने  की  तरह  है
ये  सारा  जहां     एक  घराने  की  तरह  है

हर सांस मेरी  उसकी हिफ़ाज़त पे है मामूर
इक याद  मेरे दिल  में   ख़ज़ाने की तरह है

है  कुछ  तो  हक़ीक़त भी  फ़साने में हमारे
लेकिन वो हक़ीक़त भी फ़साने की तरह है

क्यूँ  उनको समझता है  ज़माने से निराला
तू  जिनके  लिए  सारे  ज़माने की  तरह है

पल्कों के  झपकते ही    दिखाई नहीं देता
आना भी तेरा   ख़्वाब में आने की तरह है

©Tarique Sayeed Usmani

हर आदमी तस्बीह में दाने की तरह है ये सारा जहां एक घराने की तरह है हर सांस मेरी उसकी हिफ़ाज़त पे है मामूर इक याद मेरे दिल में ख़ज़ाने की तरह है है कुछ तो हक़ीक़त भी फ़साने में हमारे लेकिन वो हक़ीक़त भी फ़साने की तरह है क्यूँ उनको समझता है ज़माने से निराला तू जिनके लिए सारे ज़माने की तरह है पल्कों के झपकते ही दिखाई नहीं देता आना भी तेरा ख़्वाब में आने की तरह है ©Tarique Sayeed Usmani

#BechainMan

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