मेरी न हो सकी तो कुछ ऐसा करदो, मैं जैसा था फिर वैस | हिंदी शायरी

"मेरी न हो सकी तो कुछ ऐसा करदो, मैं जैसा था फिर वैसा करदो। Gulzar"

 मेरी न हो सकी तो कुछ ऐसा करदो,
मैं जैसा था फिर वैसा करदो।

Gulzar

मेरी न हो सकी तो कुछ ऐसा करदो, मैं जैसा था फिर वैसा करदो। Gulzar

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