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गुलज़ार जी कहते है,"चीज़ जिसे दिल कहते हैं, भूल गए हैं रख के कहीं" आपका क्या कहना है?#Gulzar Wallpaper.
826 Stories
ganesh suryavanshi
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ठहेरा हूवा पाणी था मै गेहराई भी बहूत थी मेरे अंदर तुफान ने छेडा मुझे... मै लहेर बनकर... पत्थर से हर रोज ठकराता रहा ©ganesh suryavanshi
15 Love
RAO YASHPAL SINGH RANA
87 View
मैं गालिब औंर गुलजार की बात नही करता... जो दर्द के मूशाय़रे लिखे है, मैं अपने बिते हूऐ पल रूबरू हूऐ हालातों पर तंज कस रहा हूं इतने जाल़िम क्यों है.. ए -वक्त. समय बदलता क्यों नही जो तरस नही खाते... बस... लढ़ने के लिऐ दिन जागने के लिए रात है.. नींदे तो भटक़ती रहे गई.. अकेले सफर मे रूह अंशात है.. अंधेरे खोली मे इंतजार है , कहीं से भी उम्मीद की रोशनी मिल जाए.. पर रात क्यों नही गुजरती.. तनहा- तनहा हालातों से.. ©ganesh suryavanshi
Shijrat Sheikh
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karanSingh
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