White क्या कहती हो ठहरो नारी! संकल्प अश्रु-जल- | हिंदी Poetry

"White क्या कहती हो ठहरो नारी! संकल्प अश्रु-जल-से-अपने। तुम दान कर चुकी पहले ही जीवन के सोने-से सपने। नारी! तुम केवल श्रद्धा हो विश्वास-रजत-नग पगतल में। पीयूष-स्रोत-सी बहा करो जीवन के सुंदर समतल में। देवों की विजय, दानवों की हारों का होता-युद्ध रहा। संघर्ष सदा उर-अंतर में जीवित रह नित्य-विरूद्ध रहा। आँसू से भींगे अंचल पर मन का सब कुछ रखना होगा- तुमको अपनी स्मित रेखा से यह संधिपत्र लिखना होगा। ©ranjit winner"

 White 

क्या कहती हो ठहरो नारी!


संकल्प अश्रु-जल-से-अपने।
तुम दान कर चुकी पहले ही
जीवन के सोने-से सपने।

नारी! तुम केवल श्रद्धा हो
विश्वास-रजत-नग पगतल में।
पीयूष-स्रोत-सी बहा करो
जीवन के सुंदर समतल में।

देवों की विजय, दानवों की
हारों का होता-युद्ध रहा।
संघर्ष सदा उर-अंतर में जीवित
रह नित्य-विरूद्ध रहा।

आँसू से भींगे अंचल पर
मन का सब कुछ रखना होगा-
तुमको अपनी स्मित रेखा से
यह संधिपत्र लिखना होगा।

©ranjit winner

White क्या कहती हो ठहरो नारी! संकल्प अश्रु-जल-से-अपने। तुम दान कर चुकी पहले ही जीवन के सोने-से सपने। नारी! तुम केवल श्रद्धा हो विश्वास-रजत-नग पगतल में। पीयूष-स्रोत-सी बहा करो जीवन के सुंदर समतल में। देवों की विजय, दानवों की हारों का होता-युद्ध रहा। संघर्ष सदा उर-अंतर में जीवित रह नित्य-विरूद्ध रहा। आँसू से भींगे अंचल पर मन का सब कुछ रखना होगा- तुमको अपनी स्मित रेखा से यह संधिपत्र लिखना होगा। ©ranjit winner

#mothers_day

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