ranjit winner

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ज़ब तक सूरज मे तेज रहे ज़ब तक शीतलतम रहे चन्द्रमा ज़ब तक वायु मे वेग रहे ज़ब तक सरिता कि धारा हो ज़ब तक पृथ्वी पर पानी हो महि भार उठाते शेषनाग और सागर बिच रवानी हो ज़ब तक उदयाचल अरुणीम हो ज़ब तक अस्ताचल दीप्त रहे ज़ब तक ये अवनि का आँचल हो वन से उपवन से लिप्त रहे ज़ब तक आकाश विशाल रहे और हिमशीखरों का भाल रहे ज़ब तक अग्नि मे तपन रहे ज़ब तक पंक्षी मे लगन रहे ज़ब तक सूरज रथा रुण हो मंगल भोर प्रभाती गाये आन बान और शान तिरंगा यूं ही अंबर तक लहराये यूं ही अंबर तक लहराये ©ranjit winner

 ज़ब तक सूरज मे तेज रहे
ज़ब तक शीतलतम रहे चन्द्रमा
ज़ब तक वायु मे वेग रहे
ज़ब तक सरिता कि धारा हो
ज़ब तक पृथ्वी पर पानी हो
महि भार उठाते शेषनाग
और सागर बिच रवानी हो
ज़ब तक उदयाचल अरुणीम हो
ज़ब तक अस्ताचल दीप्त रहे
ज़ब तक ये अवनि का आँचल हो
वन से उपवन से लिप्त रहे
ज़ब तक आकाश विशाल रहे
और हिमशीखरों का भाल रहे
ज़ब तक अग्नि मे तपन रहे
ज़ब तक पंक्षी मे लगन रहे
ज़ब तक सूरज रथा रुण हो
मंगल भोर प्रभाती गाये
आन बान और शान तिरंगा
यूं ही अंबर तक लहराये 
यूं ही अंबर तक लहराये

©ranjit winner

independent

14 Love

White क्या कहती हो ठहरो नारी! संकल्प अश्रु-जल-से-अपने। तुम दान कर चुकी पहले ही जीवन के सोने-से सपने। नारी! तुम केवल श्रद्धा हो विश्वास-रजत-नग पगतल में। पीयूष-स्रोत-सी बहा करो जीवन के सुंदर समतल में। देवों की विजय, दानवों की हारों का होता-युद्ध रहा। संघर्ष सदा उर-अंतर में जीवित रह नित्य-विरूद्ध रहा। आँसू से भींगे अंचल पर मन का सब कुछ रखना होगा- तुमको अपनी स्मित रेखा से यह संधिपत्र लिखना होगा। ©ranjit winner

#mothers_day  White 

क्या कहती हो ठहरो नारी!


संकल्प अश्रु-जल-से-अपने।
तुम दान कर चुकी पहले ही
जीवन के सोने-से सपने।

नारी! तुम केवल श्रद्धा हो
विश्वास-रजत-नग पगतल में।
पीयूष-स्रोत-सी बहा करो
जीवन के सुंदर समतल में।

देवों की विजय, दानवों की
हारों का होता-युद्ध रहा।
संघर्ष सदा उर-अंतर में जीवित
रह नित्य-विरूद्ध रहा।

आँसू से भींगे अंचल पर
मन का सब कुछ रखना होगा-
तुमको अपनी स्मित रेखा से
यह संधिपत्र लिखना होगा।

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#mothers_day

15 Love

 सिप प्रीत और मित 
गहराइयों मे मिलती है 
तुझे पा लेना
मेरे लिए ऐसा है
जैसे एक किनारा मिला हो
तू मेरे लिए महज एक शख्स नहीं
मेरी ओ गीत हो जिमसे मै
हर छंद,हर सुर,हर रस पा लेता हूं
कवियों के कल्पना मे ऊकेरी प्रेम की
तुम साक्षात् प्रमाण हो 🌹🌹
तुम हसीं हो तुम खुशी हो तुम "जीत " हो

©ranjit winner

#love

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#love❤  सिप प्रीत और मित 
गहराइयों मे मिलती है 
तुझे पा लेना
मेरे लिए ऐसा है
जैसे एक किनारा मिला हो
तू मेरे लिए महज एक शख्स नहीं
मेरी ओ गीत हो जिमसे मै
हर छंद हर सुर,हर रस पा लेता हूं
कवियों के कल्पना मे ऊकेरी प्रेम की
तुम साक्षात् प्रमाण हो 🌹🌹
तुम हँसी,हो तुम खुशी हो तुम "जीत " हो

©ranjit winner

#love❤

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#adamay  तुम आज हो तुम कल हो
तुम यत्र हो, तुम सर्वत्र हो
तुम बाल,
तुम लड्डू गोपाल
तुम नन्दन- मारुती
तुम चंचलता के यथार्थ
नटखट किशन कन्हैया हो
मामा के  " साहब "
और पापा के  " भईया " हो
तुम अभय, असीमित - अनन्त हो
तुम "अदम्य" हो ||

©ranjit winner

#adamay

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हम जो अब गलत तो रहने दो कुछ न दरमियाँ तो रहने दो शब्द मौन है तो रहने दो तुम अब तुम हम अब हम तो रहने दो फूल सुख गए! सुगंध नही? तो रहने दो किरदार अब घर गए ख़ामोशी है तो रहने दो रहने दो कि.. परदा गिरता है कहनी अब खत्म हूई || ©ranjit winner

 हम जो अब गलत
तो रहने दो

कुछ न दरमियाँ
तो रहने दो

शब्द मौन है
तो रहने दो

तुम अब तुम
हम अब हम
तो रहने दो

फूल सुख गए!
सुगंध नही?
तो रहने दो

किरदार अब
घर गए
ख़ामोशी है
तो रहने दो 

रहने दो कि..
परदा गिरता है
कहनी अब खत्म हूई ||

©ranjit winner

कहानी खत्म हूई

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