ज़ुल्म सहते हुए भी हिम्मत नहीं हारी हूं मैं, मुश्क

"ज़ुल्म सहते हुए भी हिम्मत नहीं हारी हूं मैं, मुश्किलों में पड़े लोगों की पालनहारी हूं मैं । जब भी तुम हमें सम्मान की नज़रिए से देखोगे, दुखों का बोझ ढोते हुए लोगों की, सवारी हूं मैं । आज आसमानों में ढेर सारी कलाएं दिखाती हूं, सरहदों पार गड़े झण्डों कि कहानी सुनाती हूं । क्या क्या नहीं करके दिखलाया है मैंने, फिर भी तुम कहते हो, सब कुछ तुम्हें सिखाया है मैंने । इक आवाज़ बनकर बुलंदियों तक गूंजती हूं, फिर भी बातें मैं, जमीनों की करती हूं । ये दिल, ये बात हमारी बेटियों में है । © @nitesh__9000"

 ज़ुल्म सहते हुए भी हिम्मत नहीं हारी हूं मैं,
मुश्किलों में पड़े लोगों की पालनहारी हूं मैं ।

जब भी तुम हमें सम्मान की नज़रिए से देखोगे,
दुखों का बोझ ढोते हुए लोगों की, सवारी हूं मैं ।

आज आसमानों में ढेर सारी कलाएं दिखाती हूं,
सरहदों पार गड़े झण्डों कि कहानी सुनाती हूं ।

क्या क्या नहीं करके दिखलाया है मैंने,
फिर भी तुम कहते हो, सब कुछ तुम्हें सिखाया है मैंने ।

इक आवाज़ बनकर बुलंदियों तक गूंजती हूं,
फिर भी बातें मैं, जमीनों की करती हूं ।

ये दिल, ये बात हमारी बेटियों में है ।

© @nitesh__9000

ज़ुल्म सहते हुए भी हिम्मत नहीं हारी हूं मैं, मुश्किलों में पड़े लोगों की पालनहारी हूं मैं । जब भी तुम हमें सम्मान की नज़रिए से देखोगे, दुखों का बोझ ढोते हुए लोगों की, सवारी हूं मैं । आज आसमानों में ढेर सारी कलाएं दिखाती हूं, सरहदों पार गड़े झण्डों कि कहानी सुनाती हूं । क्या क्या नहीं करके दिखलाया है मैंने, फिर भी तुम कहते हो, सब कुछ तुम्हें सिखाया है मैंने । इक आवाज़ बनकर बुलंदियों तक गूंजती हूं, फिर भी बातें मैं, जमीनों की करती हूं । ये दिल, ये बात हमारी बेटियों में है । © @nitesh__9000

#cousinsday

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