Nitesh

Nitesh "Vatts" Lives in Lambhua, Uttar Pradesh, India

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ज़ुल्म सहते हुए भी हिम्मत नहीं हारी हूं मैं, मुश्किलों में पड़े लोगों की पालनहारी हूं मैं । जब भी तुम हमें सम्मान की नज़रिए से देखोगे, दुखों का बोझ ढोते हुए लोगों की, सवारी हूं मैं । आज आसमानों में ढेर सारी कलाएं दिखाती हूं, सरहदों पार गड़े झण्डों कि कहानी सुनाती हूं । क्या क्या नहीं करके दिखलाया है मैंने, फिर भी तुम कहते हो, सब कुछ तुम्हें सिखाया है मैंने । इक आवाज़ बनकर बुलंदियों तक गूंजती हूं, फिर भी बातें मैं, जमीनों की करती हूं । ये दिल, ये बात हमारी बेटियों में है । © @nitesh__9000

#cousinsday  ज़ुल्म सहते हुए भी हिम्मत नहीं हारी हूं मैं,
मुश्किलों में पड़े लोगों की पालनहारी हूं मैं ।

जब भी तुम हमें सम्मान की नज़रिए से देखोगे,
दुखों का बोझ ढोते हुए लोगों की, सवारी हूं मैं ।

आज आसमानों में ढेर सारी कलाएं दिखाती हूं,
सरहदों पार गड़े झण्डों कि कहानी सुनाती हूं ।

क्या क्या नहीं करके दिखलाया है मैंने,
फिर भी तुम कहते हो, सब कुछ तुम्हें सिखाया है मैंने ।

इक आवाज़ बनकर बुलंदियों तक गूंजती हूं,
फिर भी बातें मैं, जमीनों की करती हूं ।

ये दिल, ये बात हमारी बेटियों में है ।

© @nitesh__9000

कुछ पल अपने घरों में बिताते हुए दुनिया देखती हूं, वो खूबसूरत नज़ारे मैं, सिर्फ फिल्मों में देखती हूं । कुछ बातें मेरे ज़हन में आती है, वो जज़्बात सिर्फ मेरी मां सुनाती है। वो दिन, वो उजाले जब पहली बार देखी थी, फिर भी कभी ये एहसास नहीं कि थी । आये दिन ये बातें होती हैं, बेटियां घर की भार होती हैं, इन्हीं बातों से एकदम अलग, बेटियां घर की सम्मान होती हैं । बात सरहद की हो या देश‌ की, कभी पीछे नहीं हटती, जान जोखिम में डाल देती हैं, फिर भी दुश्मनों से नहीं डरती । ये हिम्मत ये वजूद हमारी बेटियों में है । © @nitesh__9000

#cousinsday  कुछ पल अपने घरों में बिताते हुए दुनिया देखती हूं,
वो खूबसूरत नज़ारे मैं, सिर्फ फिल्मों में देखती हूं ।

कुछ बातें मेरे ज़हन में आती है,
वो जज़्बात सिर्फ मेरी मां सुनाती है।

वो दिन, वो उजाले जब पहली बार देखी थी,
फिर भी कभी ये एहसास नहीं कि थी ।

आये दिन ये बातें होती हैं, बेटियां घर की भार होती हैं,
इन्हीं बातों से एकदम अलग, बेटियां घर की सम्मान होती हैं ।

बात सरहद की हो या देश‌ की, कभी पीछे नहीं हटती,
जान जोखिम में डाल देती हैं, फिर भी दुश्मनों से नहीं डरती ।

ये हिम्मत ये वजूद हमारी बेटियों में है ।

© @nitesh__9000

चले ऐसे लश्कर लेके, वो सड़कों पर, हाथ यूं ही हिलाते मिलेंगे, वो सड़कों पर । वादे कई किये, दिन-रात साथ रहने वाले, ज़नाब मजबूरियां मेरी मेहमान है, उसमें भी तुम नहीं साथ रहने वाले । कहते हो तुम, हम तुम्हें सब कुछ देंगे, दर्द के सिवाय, आप और क्या-क्या देंगे । गुज़ारिश है हमें और हमारे समाज को बक्स दीजिए, जातिवाद न फैलाएं, इसे खत्म कर दीजिए ‌। गरीबों-लाचारों पर तो ज़रा दया करो, उन्हें क्यूं सताते हो, उनसे दूर ही रहिए, सिवाय दर्द के उनके लिए क्या-क्या लाते हो । खुशनसीब हूं मैं, हमने भारत देश में जन्म लिया है, अधिकार है मुझे अपने हक़ पर, फिर भी तुमने, उसे हर लिया है । गुज़ारिश है हमें और हमारे समाज को बक्स दीजिए, सुख और सुकून के सिवाय हमें और कुछ मत दीजिए । © @nitesh__9000

#myvoice  चले ऐसे लश्कर लेके, वो सड़कों पर,
हाथ यूं ही हिलाते मिलेंगे, वो सड़कों पर ।

वादे कई किये, दिन-रात साथ रहने वाले,
ज़नाब मजबूरियां मेरी मेहमान है, उसमें भी तुम नहीं साथ रहने वाले ।

कहते हो तुम, हम तुम्हें सब कुछ देंगे,
दर्द के सिवाय, आप और क्या-क्या देंगे ।

गुज़ारिश है हमें और हमारे समाज को बक्स दीजिए,
जातिवाद न फैलाएं, इसे खत्म कर दीजिए ‌।

गरीबों-लाचारों पर तो ज़रा दया करो, उन्हें क्यूं सताते हो,
उनसे दूर ही रहिए, सिवाय दर्द के उनके लिए क्या-क्या लाते हो ।

खुशनसीब हूं मैं, हमने भारत देश में जन्म लिया है,
अधिकार है मुझे अपने हक़ पर, फिर भी तुमने, उसे हर लिया है ।

गुज़ारिश है हमें और हमारे समाज को बक्स दीजिए,
सुख और सुकून के सिवाय हमें और कुछ मत दीजिए ।

© @nitesh__9000

#myvoice

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कुछ पाने की हिमाकत की थी, सिर्फ उसी के दम पर, बुलंदियों पर चढ़ता गया सिर्फ आपके नाम पर । © @nitesh__9000 ✍️✍️✍️

#शायरी #teachersday2020  कुछ पाने की हिमाकत की थी, सिर्फ उसी के दम पर,

बुलंदियों पर चढ़ता गया सिर्फ आपके नाम पर ।

 © @nitesh__9000 ✍️✍️✍️

happy teachers day #teachersday2020

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कुछ तो दरिया भी गुरूर करता है सबको डुबाने का, हर शाम इक झलक दिखाता है सूरज को डुबाने का । यूं हर किसी का अल्फाज़ भी सबको ज़ख्म देता है, हर अल्फा़ज़ दिल पे न लेना यारों, ये तरकीब है उनकी सबको डुबाने का । मिरा मोहब्बत भी हार जाता है उनकी नफ़रत के आगे, ये तो इक पहचान है इश्क़ को डुबाने का । इन आंखों से अब सिर्फ नफरत की रौशनी दिखती है, नफरत की हर इक चाल बेहतरीन है, मोहब्बत की उजाले को डुबाने का । कभी शाम की आड़ में दो घूट जाम पी लेना, यूं तो इक पल होता है दिन के थकान को डुबाने का ।

#dawn  कुछ तो दरिया भी गुरूर करता है सबको डुबाने का,
हर शाम इक झलक दिखाता है सूरज को डुबाने का ।

यूं हर किसी का अल्फाज़ भी सबको ज़ख्म देता है,
हर अल्फा़ज़ दिल पे न लेना यारों, ये तरकीब है उनकी सबको डुबाने का ।

मिरा मोहब्बत भी हार जाता है उनकी नफ़रत के आगे,
ये तो इक पहचान है इश्क़ को डुबाने का ।

इन आंखों से अब सिर्फ नफरत की रौशनी दिखती है,
नफरत की हर इक चाल बेहतरीन है, मोहब्बत की उजाले को डुबाने का ।

कभी शाम की आड़ में दो घूट जाम पी लेना,
यूं तो इक पल होता है दिन के थकान को डुबाने का ।

#dawn

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कैसे खयाल आये या कैसे जाए, ये दिल की धड़कन मेरी अब रुक कैसे जाए । वो सारी तेरी यादें, मेरे ज़हन में गूंजा करती है, इत्तफाक तो देखो, वो मोहब्बत किसी और से करती है । रात-दिन मैंने तेरे सपने देखे थे, बिखरे वो ख्वाब सारे, जो मैंने देखे थे। यूं अंगड़ाइयां लेने का खयाल क्यूं आया मन में तेरे, अज़ब है ये इश्क़, कैसे-कैसे ख्याल लाता है मन में मेरे । कितनी फिकर रहती तेरी, कैसी होगी, क्या कर रही है, दरअसल वो गुफ्तगू किसी और से कर रही है । ये जवानी फिर भी मोहब्बत को तरस रही है । © @nitesh__9000

#MichaelJackson  कैसे खयाल आये या कैसे जाए,
ये दिल की धड़कन मेरी अब रुक कैसे जाए ।

वो सारी तेरी यादें, मेरे ज़हन में गूंजा करती है,
इत्तफाक तो देखो, वो मोहब्बत किसी और से करती है ।

रात-दिन मैंने तेरे सपने देखे थे,
बिखरे वो ख्वाब सारे, जो मैंने देखे थे।

यूं अंगड़ाइयां लेने का खयाल क्यूं आया मन में तेरे,
अज़ब है ये इश्क़, कैसे-कैसे ख्याल लाता है मन में मेरे ।

कितनी फिकर रहती तेरी, कैसी होगी, क्या कर रही है,
दरअसल वो गुफ्तगू किसी और से कर रही है ।

ये जवानी फिर भी मोहब्बत को तरस रही है ।

© @nitesh__9000
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