"इस जन्माष्टमी पर, अगर वो चोर बनता है,तो माखन चोर बनता है
वो वस्त्रों को चुराता है,मगर चितचोर बनता है
वो जब बंसी की धुन पर रास राधा संग रचाए तब
गोपियां मोरनी बनती हैं,कान्हा मोर बनता है
अर्पित अज्ञात"
इस जन्माष्टमी पर, अगर वो चोर बनता है,तो माखन चोर बनता है
वो वस्त्रों को चुराता है,मगर चितचोर बनता है
वो जब बंसी की धुन पर रास राधा संग रचाए तब
गोपियां मोरनी बनती हैं,कान्हा मोर बनता है
अर्पित अज्ञात