रात" वो लंबी सुबह , वो सुस्ती भरी दोपहर, वो ढलत | हिंदी Poetry

""रात" वो लंबी सुबह , वो सुस्ती भरी दोपहर, वो ढलती शाम घर पे सब कुछ तो होता था, जब से कमाने के लिए शहर आए हैं, बस रात होती है ©Sanjiv Chauhan"

 "रात" 
वो लंबी  सुबह , वो सुस्ती भरी दोपहर, वो ढलती शाम घर पे सब कुछ तो  होता था,

जब से कमाने के लिए शहर आए हैं, बस रात होती है

©Sanjiv Chauhan

"रात" वो लंबी सुबह , वो सुस्ती भरी दोपहर, वो ढलती शाम घर पे सब कुछ तो होता था, जब से कमाने के लिए शहर आए हैं, बस रात होती है ©Sanjiv Chauhan

#Raat

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