स्कूल और बेंच कभी चुपचाप चला जाता हूँ उस दौर में
जहाँ बसती हैं रंगीन यादें हमारी...
बड़ा सकूँ मिलता है वहाँ तन्हा वक़्त बिताकर
जहाँ हँसती हैं हसीन मुलाक़ातें हमारी ...
रविकुमार
कभी चुपचाप चला जाता हूँ उस दौर में
जहाँ बसती हैं रंगीन यादें हमारी...
बड़ा सकूँ मिलता है वहाँ तन्हा वक़्त बिताकर
जहाँ हँसती हैं हसीन मुलाक़ातें हमारी ...
रविकुमार