दूर तक पसरी हुई रात की तन्हाई हूँ मैं। ख़ाली न | हिंदी Shayari

"दूर तक पसरी हुई रात की तन्हाई हूँ मैं। ख़ाली नजरों में ठहरी रही परछाईं हूँ मैं। ताल्लुक़ टूट गया है मतलबी दुनिया से , हर सहन में बजती रही वह शहनाई हूँ मैं। ✍️साई नलिनी ©Nalini Sai"

 दूर तक  पसरी हुई  रात  की तन्हाई हूँ मैं।
ख़ाली  नजरों में  ठहरी रही परछाईं हूँ मैं।
ताल्लुक़ टूट गया है  मतलबी  दुनिया  से ,
हर सहन में बजती रही वह शहनाई हूँ मैं।

✍️साई नलिनी

©Nalini Sai

दूर तक पसरी हुई रात की तन्हाई हूँ मैं। ख़ाली नजरों में ठहरी रही परछाईं हूँ मैं। ताल्लुक़ टूट गया है मतलबी दुनिया से , हर सहन में बजती रही वह शहनाई हूँ मैं। ✍️साई नलिनी ©Nalini Sai

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