कब आओगे वापस घर आंगन गाँव अपने , कच्ची आंगन की चबूतरी और जामुन का पेड करते हैं सब याद तुम्हे हो गये हो अब बडे शायद, मगर याद मुझे बचपन तुम्हारा, कि खेलें है लुका छिपी के खेल _ तुमने हमारी ही आगोश में! अरुण प्रधान ©Arun pradhan Quotes, Shayari, Story, Poem, Jokes, Memes On Nojoto