कर भ्रष्टाचार तू ,हम बोलेंगे। तेरे हर राज,हम खोलें | हिंदी कविता

"कर भ्रष्टाचार तू ,हम बोलेंगे। तेरे हर राज,हम खोलेंगे। सालों से बंद,लगे तालों से होठों को हम खोलेंगे। हम बोलेंगे...2 हम अपने हक की बातों को, जंग लगे इन हाथों को, हम बोलेंगे ,हम खोलेंगे। तेरे हर राज ,हम खोलेंगे । हम बोलेंगे हम बोलेंगे। poetry Anubhav Chaudhary ham bolega"

 कर भ्रष्टाचार तू ,हम बोलेंगे।
तेरे हर राज,हम खोलेंगे।
सालों से बंद,लगे तालों से होठों को हम खोलेंगे।
हम  बोलेंगे...2
हम अपने हक की बातों को,
जंग लगे इन हाथों को, 
 हम बोलेंगे ,हम खोलेंगे।
 तेरे हर राज ,हम खोलेंगे ।
 हम बोलेंगे हम  बोलेंगे।
poetry Anubhav Chaudhary 
ham bolega

कर भ्रष्टाचार तू ,हम बोलेंगे। तेरे हर राज,हम खोलेंगे। सालों से बंद,लगे तालों से होठों को हम खोलेंगे। हम बोलेंगे...2 हम अपने हक की बातों को, जंग लगे इन हाथों को, हम बोलेंगे ,हम खोलेंगे। तेरे हर राज ,हम खोलेंगे । हम बोलेंगे हम बोलेंगे। poetry Anubhav Chaudhary ham bolega

Ham bolenga

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