"गुमराह कुछ इस तरह हूँ
ना समय के साथ चल पाता हूँ
न यादों के संग ठहर पाता हूँ
कभी नये सपने देखने लगता हूँ
तो कभी ख्वाबो को जीने का तरीका ढूँढता हूँ
पर मन मस्तिष्क पर भी कहाँ नियंत्रण मेरा
काश?! वर्तमान से सँभल सकूँ इतना कर पाता
कमबख़्त यादों के वो झूठे लम्हे जीने भी नही देते
@dineshparmar"