गुमराह कुछ इस तरह हूँ ना समय के साथ चल पाता हूँ | हिंदी कविता

"गुमराह कुछ इस तरह हूँ ना समय के साथ चल पाता हूँ न यादों के संग ठहर पाता हूँ कभी नये सपने देखने लगता हूँ तो कभी ख्वाबो को जीने का तरीका ढूँढता हूँ पर मन मस्तिष्क पर भी कहाँ नियंत्रण मेरा काश?! वर्तमान से सँभल सकूँ इतना कर पाता कमबख़्त यादों के वो झूठे लम्हे जीने भी नही देते @dineshparmar"

 गुमराह कुछ इस तरह हूँ 
ना समय के साथ चल पाता हूँ 
न यादों के संग ठहर पाता हूँ 
कभी नये सपने देखने लगता हूँ 
तो कभी ख्वाबो को जीने का तरीका ढूँढता हूँ 
पर मन मस्तिष्क पर भी कहाँ नियंत्रण मेरा
काश?! वर्तमान से सँभल सकूँ इतना कर पाता 
कमबख़्त यादों के वो झूठे लम्हे जीने भी नही देते 
@dineshparmar

गुमराह कुछ इस तरह हूँ ना समय के साथ चल पाता हूँ न यादों के संग ठहर पाता हूँ कभी नये सपने देखने लगता हूँ तो कभी ख्वाबो को जीने का तरीका ढूँढता हूँ पर मन मस्तिष्क पर भी कहाँ नियंत्रण मेरा काश?! वर्तमान से सँभल सकूँ इतना कर पाता कमबख़्त यादों के वो झूठे लम्हे जीने भी नही देते @dineshparmar

#तन्हाई #संघर्ष से भरी #मंजिल के #मुसाफिर @chuntu singh @Main Shayar To Nahin (Shiv) @Devi Pareek @indu mehra

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