आज बादलों से मुलाकात हुई मेरी... कभी -कभी दिल करत | हिंदी कविता

"आज बादलों से मुलाकात हुई मेरी... कभी -कभी दिल करता बादलों से जुड़ जाऊँ मैं -2 यूं ही आकाश मे परिंदों सा उड़ जाऊँ मैं। मोर पंखों सी रंगत हो ज़िंदगी की, आसमां के परिंदों सी संगत हो ज़िंदगी की। क्या चिंता, क्या झंझट,क्या अफ़साना ज़िंदगी का । दिल करता परिंदों सा उड़ जाऊँ मैं। दिल करता बादलों से जुड़ जाऊँ मैं। - सौरभ ओझा । 27/अक्टूबर/2019"

 आज बादलों से मुलाकात हुई मेरी...

कभी -कभी दिल करता बादलों से जुड़ जाऊँ मैं -2
यूं ही आकाश मे परिंदों सा उड़ जाऊँ मैं।
मोर पंखों सी रंगत हो ज़िंदगी की,
आसमां के परिंदों सी संगत हो ज़िंदगी की।
क्या चिंता, क्या झंझट,क्या अफ़साना ज़िंदगी का ।
दिल करता परिंदों सा उड़ जाऊँ मैं।
दिल करता बादलों से जुड़ जाऊँ मैं।

                        -   सौरभ ओझा ।
27/अक्टूबर/2019

आज बादलों से मुलाकात हुई मेरी... कभी -कभी दिल करता बादलों से जुड़ जाऊँ मैं -2 यूं ही आकाश मे परिंदों सा उड़ जाऊँ मैं। मोर पंखों सी रंगत हो ज़िंदगी की, आसमां के परिंदों सी संगत हो ज़िंदगी की। क्या चिंता, क्या झंझट,क्या अफ़साना ज़िंदगी का । दिल करता परिंदों सा उड़ जाऊँ मैं। दिल करता बादलों से जुड़ जाऊँ मैं। - सौरभ ओझा । 27/अक्टूबर/2019

# bindass jeete raho

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