गुनाह तुमने क्या ये सोचकर भी , मैं रुसवां जिंदगी ज | हिंदी शायरी

"गुनाह तुमने क्या ये सोचकर भी , मैं रुसवां जिंदगी जिया करता हूँ पता है वो जहरीली यादें है, फिर भी उन्हें सराब समझ पिया करता हूँ एक बार ही सही बता तो दो तुम मैं अब भी मंदिरों में क्यूँ तुम्हारे लिए दुआ किया करता हूँ । ❤❤💔💔💓💓💕💕"

 गुनाह तुमने क्या ये सोचकर भी , मैं रुसवां जिंदगी जिया करता हूँ 
पता है वो जहरीली यादें है, फिर भी उन्हें सराब समझ पिया करता हूँ 
 एक बार ही सही   बता तो दो तुम 
मैं अब भी मंदिरों में क्यूँ तुम्हारे लिए दुआ किया करता हूँ ।
❤❤💔💔💓💓💕💕

गुनाह तुमने क्या ये सोचकर भी , मैं रुसवां जिंदगी जिया करता हूँ पता है वो जहरीली यादें है, फिर भी उन्हें सराब समझ पिया करता हूँ एक बार ही सही बता तो दो तुम मैं अब भी मंदिरों में क्यूँ तुम्हारे लिए दुआ किया करता हूँ । ❤❤💔💔💓💓💕💕

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