हमतो चलते जा रहे थे अपने रास्ते ,कि किनारे हम से सवाल करने लगे
इस बार हम रुके नहीं तो इसी बात पे बवाल करने लगे
सदमे में थे कई तो दिखती रफ्तारों से, (2)
अब वो हाल पूछ पूछ कर ही बेहाल करते लगे .........
--और इसे देख (2)न कहना कि बुरी है दुनिया
कहने दो जिनको कहना है कहने वाले क्या चुप रहते हैं (2)
क्या इतना भी मालूम न है, फूलों के करीब अक्सर काँटे रहते हैं ।
-----देवेंद्र शिवहरे 😊
गुनाह तुमने क्या ये सोचकर भी , मैं रुसवां जिंदगी जिया करता हूँ
पता है वो जहरीली यादें है, फिर भी उन्हें सराब समझ पिया करता हूँ
एक बार ही सही बता तो दो तुम
मैं अब भी मंदिरों में क्यूँ तुम्हारे लिए दुआ किया करता हूँ ।
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