थक कर आये हैं, तेरी बाहों में, मोहब्बत कि सुकून, | हिंदी शायरी

"थक कर आये हैं, तेरी बाहों में, मोहब्बत कि सुकून, मुझे दे जाना। लगता है अब डर गैरों से, मुझे अपनी बाहों में, छुपने कि जगह दे जाना।। करती हूँ, तुमसे इश्क इतनी शिधत से, डर लगता है, कि तुम किसी और का न हो जाना। लेखक:विजय सर जी I ❤love very much. Jaan ©कवि विजय सर जी"

 थक कर आये हैं, तेरी बाहों में, 
मोहब्बत कि सुकून, मुझे दे जाना। 

लगता है अब डर गैरों से, 
मुझे अपनी बाहों में, छुपने कि जगह दे जाना।। 

करती हूँ, तुमसे इश्क इतनी शिधत से, 
डर लगता है, कि तुम किसी और का न हो जाना। 

लेखक:विजय सर जी
I ❤love very much. Jaan

©कवि विजय सर जी

थक कर आये हैं, तेरी बाहों में, मोहब्बत कि सुकून, मुझे दे जाना। लगता है अब डर गैरों से, मुझे अपनी बाहों में, छुपने कि जगह दे जाना।। करती हूँ, तुमसे इश्क इतनी शिधत से, डर लगता है, कि तुम किसी और का न हो जाना। लेखक:विजय सर जी I ❤love very much. Jaan ©कवि विजय सर जी

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