क्या कहेगा
बस यही ना
तुम कहीं हो हम कहीं हैं जानकर अच्छा लगा,,
अलग होकर साथ होता यह सफ़र अच्छा लगा//1
वादियों पर हैं यहां तफ़रीह को यूं ही हवा,,
यह खुलेआम आज़ इनका भी सफ़र अच्छा लगा//2
दाखिला इनका हमारी तरह से हर जगह को,,
बहना इनका दरिया बनकर सांसों पर अच्छा लगा//3
जिंदगी को वज़ह मिलतीं सांसों के चलते मगर,,
रुक के दम भरना हवा पर मुख़्तसर अच्छा लगा//4
©Shree Shayar
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