तुम कितनी नटखट हो, कितनी चंचल,कितनी प्यारी, हु-ब-ह | हिंदी Poetry

"तुम कितनी नटखट हो, कितनी चंचल,कितनी प्यारी, हु-ब-हु मुझ जैसी, तुम्हारी काली काली आँखों में छुपे हैं न जाने कितने आसमान जिनमें भरी है कितने चाँद तारों की रोशनी तुम मेरे मन के अंधेरों पर अपनी पुष्प आँखों से प्रेम की रोशनी डालती हो, तुम कितनी नटखट हो, कितनी चंचल,कितनी प्यारी, तुम्हारी मासूम सी सूरत, और उसके पीछे छुपी एक शैतान लड़की, तुम्हारा ये बचपना मुझे बहुत अच्छा लगता है, तुम जब मेरे हाथों में अपना हाथ रखती हो, तो लगता है बादल बरस गए, धरा गगन को एक कर, मेरा मन करता है तुम्हें वो सब दूँ, जिसे देख कर तुम खुश होती हो, हरे भरे पहाड़, नदियाँ, झील, झरने, तुम्हें सब दिखाऊँ, के देखो दुनिया कितनी बड़ी होती है, और कितनी सुंदर, पर तुम्हारी आँखों जितनी नहीं, मेरी दुनिया उस दुनिया से बहुत ज़्यादा सुंदर है, और जानती हो, मेरी दुनिया तुम हो ©Pradeep Chourasiya"

 तुम कितनी नटखट हो,
कितनी चंचल,कितनी प्यारी,
हु-ब-हु मुझ जैसी,
तुम्हारी काली काली आँखों में
छुपे हैं न जाने कितने आसमान
जिनमें भरी है कितने चाँद तारों की रोशनी
तुम मेरे मन के अंधेरों पर
अपनी पुष्प आँखों से प्रेम की रोशनी डालती हो,
तुम कितनी नटखट हो, 
कितनी चंचल,कितनी प्यारी,
तुम्हारी मासूम सी सूरत,
और उसके पीछे छुपी एक शैतान लड़की,
तुम्हारा ये बचपना मुझे बहुत अच्छा लगता है,
तुम जब मेरे हाथों में अपना हाथ रखती हो,
तो लगता है बादल बरस गए,
धरा गगन को एक कर,
मेरा मन करता है तुम्हें वो सब दूँ,
जिसे देख कर तुम खुश होती हो,
हरे भरे पहाड़, नदियाँ, झील, झरने,
तुम्हें सब दिखाऊँ,
के देखो दुनिया कितनी बड़ी होती है,
और कितनी सुंदर,
पर तुम्हारी आँखों जितनी नहीं,
मेरी दुनिया उस दुनिया से बहुत ज़्यादा सुंदर है,
और जानती हो,
मेरी दुनिया तुम हो

©Pradeep Chourasiya

तुम कितनी नटखट हो, कितनी चंचल,कितनी प्यारी, हु-ब-हु मुझ जैसी, तुम्हारी काली काली आँखों में छुपे हैं न जाने कितने आसमान जिनमें भरी है कितने चाँद तारों की रोशनी तुम मेरे मन के अंधेरों पर अपनी पुष्प आँखों से प्रेम की रोशनी डालती हो, तुम कितनी नटखट हो, कितनी चंचल,कितनी प्यारी, तुम्हारी मासूम सी सूरत, और उसके पीछे छुपी एक शैतान लड़की, तुम्हारा ये बचपना मुझे बहुत अच्छा लगता है, तुम जब मेरे हाथों में अपना हाथ रखती हो, तो लगता है बादल बरस गए, धरा गगन को एक कर, मेरा मन करता है तुम्हें वो सब दूँ, जिसे देख कर तुम खुश होती हो, हरे भरे पहाड़, नदियाँ, झील, झरने, तुम्हें सब दिखाऊँ, के देखो दुनिया कितनी बड़ी होती है, और कितनी सुंदर, पर तुम्हारी आँखों जितनी नहीं, मेरी दुनिया उस दुनिया से बहुत ज़्यादा सुंदर है, और जानती हो, मेरी दुनिया तुम हो ©Pradeep Chourasiya

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