मेरे चारसू मातम ही मातम है, मैं इस दौर मे ज़िन्दा | हिंदी शायरी Video

" मेरे चारसू मातम ही मातम है, मैं इस दौर मे ज़िन्दा हूँ मुझको ग़म है... मैं क्या कलाम लिखूँ की ये जंग रूक जाए, मिरी तेग़ तो बस यही मेरी कलम है... मैं उससे जीत जाऊँगा वो मुझसे हार जाएगा, हर किसी के अपने-अपने वहम है... आने वाली नस्लें इसकी कर्ज़ अदा करेंगी, आज की तबाही का जो ये आलम है... हैं बहुत सी शिकायतें मुझको इस जहाँ से, गो रौशनी कम है, ज़िन्दगी कम है... ©Saif Azam "

मेरे चारसू मातम ही मातम है, मैं इस दौर मे ज़िन्दा हूँ मुझको ग़म है... मैं क्या कलाम लिखूँ की ये जंग रूक जाए, मिरी तेग़ तो बस यही मेरी कलम है... मैं उससे जीत जाऊँगा वो मुझसे हार जाएगा, हर किसी के अपने-अपने वहम है... आने वाली नस्लें इसकी कर्ज़ अदा करेंगी, आज की तबाही का जो ये आलम है... हैं बहुत सी शिकायतें मुझको इस जहाँ से, गो रौशनी कम है, ज़िन्दगी कम है... ©Saif Azam

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