इक उम्र गुज़ार दी हमनें तेरे लौट आने के इंतज़ार मे | हिंदी शायरी
"इक उम्र गुज़ार दी हमनें
तेरे लौट आने के इंतज़ार में,
कैसे कहूं तुम्हें
ऐसा कोई दिन न हो
जो गुज़ारा न हो तेरी याद में,
हर वक़्त सोचता रहता हूँ
कि भूलूं कैसे तुम्हें
पर ऐसा लगता हैं तुम्हें भूल पाऊंगा
मेरी साँसें रुकने के ही बाद में...!!!"
इक उम्र गुज़ार दी हमनें
तेरे लौट आने के इंतज़ार में,
कैसे कहूं तुम्हें
ऐसा कोई दिन न हो
जो गुज़ारा न हो तेरी याद में,
हर वक़्त सोचता रहता हूँ
कि भूलूं कैसे तुम्हें
पर ऐसा लगता हैं तुम्हें भूल पाऊंगा
मेरी साँसें रुकने के ही बाद में...!!!