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Meri Shayri Meri Kalam Se -Shivam
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उस आशिकी को उसके कहर पर मोड़ कर चले आए... काफी गुमान था उसको खुद की मिल्कियत -ए -मुहब्बत का जाओ इश्क के साथ उसके शहर को छोंड कर चले आए... ©Meri Shayri Meri Kalam Se -Shivam
10 Love
खो गया इश्क गुमनामी के अंधेरे में.. लगता है मुकद्दर कुछ अटकने सा लगा है... हर रात कोसता हूं देख कर इसको मुझे ये चांद कुछ खटकने सा लगा है... ©Meri Shayri Meri Kalam Se -Shivam
8 Love
गैर को अपना, अपने को गैर बना कर जाती है.. ये जिंदगी आइना दिखा कर जाती है.. और दिल देने की कीमत तो चुकाई है हमने... पर दोस्त आशिकी बहुत कुछ सिखा कर जाती है। ©Meri Shayri Meri Kalam Se -Shivam
12 Love
दिलकशी मुलाकात को अब जमाने हो गए जमाने के साथ वो लोग भी पुराने हो गए.. कल तक जो कहते थे हमें करीब हैं हम सुना है वो लोग अब अनजाने हो गए.. ©Meri Shayri Meri Kalam Se -Shivam
घूमते हो दर बदर चेहरे बदल के घर आओ तो पहचान देख लेना... शोहरत जवानी का गुमान हो जाए जब फिर जाना तो शमशान देख लेना... ©Meri Shayri Meri Kalam Se -Shivam
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