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कर्म ही मेरा धर्म है धर्म से बढ़कर कुछ नहीं कोई अगर अधर्म करें तो उसे मैं कभी क्षमा नहीं कर सकता
होली क्यों मनाई जाती हैं हिरण्यकश्यपु ने अपनी बहन होलिका को प्रह्लाद के साथ आग में बैठने को कहा। होलिका को यह वरदान प्राप्त था कि वह आग में नहीं जलेगी। परन्तु होलिका का यह वरदान उस समय समाप्त हो गया जब उसने भगवान भक्त प्रह्लाद का वध करने का प्रयत्न किया। होलिका अग्नि में जल गई परन्तु नारायण की कृपा से प्रह्लाद का बाल भी बांका नहीं हुआ। ©Dinesh Kumar
Dinesh Kumar
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ये नव वर्ष हमें स्वीकार नहीं है अपना ये त्यौहार नहीं है अपनी ये तो रीत नहीं है अपना ये व्यवहार नहीं धरा ठिठुरती है सर्दी से आकाश में कोहरा गहरा है बाग़ बाज़ारों की सरहद पर सर्द हवा का पहरा है सूना है प्रकृति का आँगन कुछ रंग नहीं , उमंग नहीं हर कोई है घर में दुबका हुआ नव वर्ष का ये कोई ढंग नहीं चंद मास अभी इंतज़ार करो निज मन में तनिक विचार करो नये साल नया कुछ हो तो सही क्यों नक़ल में सारी अक्ल बही उल्लास मंद है जन -मन का आयी है अभी बहार नहीं ये नव वर्ष हमे स्वीकार नहीं है अपना ये त्यौहार नहीं ये धुंध कुहासा छंटने दो रातों का राज्य सिमटने दो प्रकृति का रूप निखरने दो फागुन का रंग बिखरने दो प्रकृति दुल्हन का रूप धार जब स्नेह – सुधा बरसायेगी शस्य – श्यामला धरती माता घर -घर खुशहाली लायेगी तब चैत्र शुक्ल की प्रथम तिथि नव वर्ष मनाया जायेगा आर्यावर्त की पुण्य भूमि पर जय गान सुनाया जायेगा युक्ति – प्रमाण से स्वयंसिद्ध नव वर्ष हमारा हो प्रसिद्ध आर्यों की कीर्ति सदा -सदा नव वर्ष चैत्र शुक्ल प्रतिपदा अनमोल विरासत के धनिकों को चाहिये कोई उधार नहीं ये नव वर्ष हमे स्वीकार नहीं है अपना ये त्यौहार नहीं है अपनी ये तो रीत नहीं है अपना ये त्यौहार नहीं ©Dinesh Kumar
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गम में खोया हर एक इंसान प्यार का है वह प्यासा मिल जाते हैं कई अनजान दोस्त पढ़ना मिल पाता कोई फोन जैसा तो उठाओ अपना फोन और बनाओ 922 पर नोट्स और भी करो अपनी शायरी की आवाज ©Dinesh Kumar
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chhath Kitna Pavan tyohar hi hai chhath ka ya tyohar jisne bhi Kiya uski manokamna avashya punya Hui hai Jay chhathi Maiya ©Dinesh Kumar
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