वो लडकी जो
रातों को जागकर
नींदों को त्यागकर
भूख प्यास भूलकर
बिखरे काजलो में
उलझी लटों के साथ
संवारती रहती हैं
शब्दो को
निश्चय ही
अपना सौदर्य
समर्पित करती हैं
अपनी कविताओं को
वो लडकी जो
रातों को जागकर
नींदों को त्यागकर
भूख प्यास भूलकर
बिखरे काजलो में
उलझी लटों के साथ
संवारती रहती हैं
शब्दो को
निश्चय ही
अपना सौदर्य
समर्पित करती हैं
अपनी कविताओं को
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