हमें नींद में और मुझे इतना सजाया जा रहा था था मैं नींद में और मुझे इतना सजाया जा रहा था बड़े प्यार से मुझे नहीं लाया जा रहा था ना जाने था वह कौन सा अजब खेल मेरे घर में ना जाने वह कौन सा अजब खेल मेरे घर में बच्चों की तरह कंधे पर उठाया जा रहा था था पास मेरा हर अपना उस वक्त फिर भी मैं हर किसी के मन से बुलाया जा रहा था जो कभी देखते भी ना थे मोहब्बत की निगाहों से उनके दिल से भी प्यार मुझ पर लुटाया जा रहा था
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