#Ussdin जीवनकी जिम्मेदारियों का बोझ उठाते उठाते उम्र कब ढलने लगी पता ही नहीं चला। शुरू शुरू में कुछ भी करने का मन करता था तो सोचते थे कि अभी उम्र नहीं है। अभी तो वो सब करना है जो अपनों को सुकून दे सके, सुख दे सके।
अब जब, अपनों के लिए सब कुछ कर लिया, सभी अपने, खुदके जीवनमें मशगूल हो गए, अब जब भी कुछ करने को जी करता है, तो लगता है, कि अब उम्र नहीं है।
जीवन ऐसे ही अभी उम्र नहीं है, से अब उम्र नहीं है के बीच का खालीपन है, जिसमें कभी खुद के लिए समय नहीं होता।
सुकून के दो पल, अगर किसी अपने खास के साथ बीते, तो सारी जिंदगी की सुनहरी यादें बन जाते हैं। बस हाथों में हाथ पिरो के, आंखों में आंखें मिलाकर दिल से दिलकी बातें हों, एक रूपहली शाम हो, हल्की सी बरसात हो, रोम रोम में छलकता प्यार हो, और जिंदगी वहीं थम जाए। अगर ऐसा कभी हो तो सारा जीवन उन पलों के सहारे बीत जाए। है ना।
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