तेरा होना ही काफ़ी होता अगर
तो हम यूँ तन्हा ना होते।
भीड़ में बैठना ही काफी होता अगर
तो यूँ महफ़िल में अकेले ना होते।।
एक टहनी पर कहीं दिल टिका था मेरा
पतझड़ का मौसम था।
गलती से किसी पर गिर जाए अगर
तेरा होना ही काफ़ी होता अगर
तो हम यूँ तन्हा ना होते।
भीड़ में बैठना ही काफी होता अगर
तो यूँ महफ़िल में अकेले ना होते।।
एक टहनी पर कहीं दिल टिका था मेरा
पतझड़ का मौसम था।
गलती से किसी पर गिर जाए अगर
দ্বারে চোখ পেতে আর কি হবে
সে যে বিজুরী হয়ে পড়েছে
ভেঙেছে আমার খেলাঘর
হৃদয়ের স্বপ্নে উঠেছে ঝড়
আশা রেখে আর কি হবে
প্রেম পুষ্পে ছুঁতে চেয়েছিলাম যারে
সে যে মরীচিকা সম
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