आप बहुत बेदर्द हो
जो आपने बोझ किताबों का भर दिया
मेरे खेल-खिलौने से किनारा कर दिया
इतना लिखा हाथों ने जैसे इतिहास लिख दिया
आपने मेरे बचपन को बहुत है दर्द दिया
नहीं नहीं ऐसा नहीं है
आप बेदर्द नहीं, आप तो हमदर्द रहे
जो किताबें भरी थी आपने, वो हल्का कर रही है जिंदगी
विभिन्न पहलुओं से खेल अनोखे खिला रही है जिंदगी
लिखा आज वो हस्ताक्षर रूप में कमाल कर रही जिंदगी
ताउम्र करूंगा मैं आपके चरणों की बंदगी
©Trilok
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