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समाज सेवी, कवि, सिंगर,
F.R.I.E.N.D.S बहुत मुश्किल है उस शख्स को गिराना जिसे ठोकरों ने चलना सिखाया हो ©Sanjeev Rana "Shivansh"
Sanjeev Rana "Shivansh"
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रात रात भर जब आशा का दीप मचलता है तम से क्या घबराना सूरज रोज निकलता है मत दो तुम आवाज भीड़ के कान नहीं होते क्योंकि भीड़ में सबके सब इंसान नहीं होते मोती पानी के लालच में नीचे मत उतरो एक गीत से पीराओं का पर्वत गलता है रात रात भर जब आशा का दीप मचलता है तम से क्या घबराना सूरज रोज निकलता है ©Sanjeev Rana "Shivansh"
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मंजर धुंधला हो सकता है, मंजिल नहीं दौर बुरा हो सकता है, ज़िंदगी नहीं ©Sanjeev Rana "Shivansh"
कोई तो किश्त है जो अदा नहीं है सांस बाकी है और हवा नहीं है नसीहतें, सलाहें हिदायतें तमाम पर्चे पर हैं, पर दवा नहीं है ©Sanjeev Rana "Shivansh"
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मिल लिये होंगे यूं ही मुस्कराट को मोहब्बत न समझो खोल दिये होंगे दिल के राज अनाडी न समझो ©Sanjeev Rana "Shivansh"
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