कोई आस नहीं तेरे वापस आने की, फिर भी एक आस बाकी है।
तूं पास नहीं मेरे फिर भी, तेरे होने का एहसास बाकी है।
जाती नहीं तूं मेरे जेहन से, तेरे न होने का वो काश बाकी है।
पूरी ज़िंदगी संग जीने के वायदे थे, तेरे साथ करनी अभी रास बाकी है।
हक़ीक़त में तो मिलना नहीं, फ़क़त ख़्वाबों में मिलने का अरदास बाकी है।
बुझ न सकी जो आज तलक , बुझनी अभी वो प्यास बाकी है।
तेरे वापस लौट आने का, टूटना अभी विश्वास बाकी है।
मेरे दिल का तो ठीक लेकिन, तेरे दिल में छिपा हर राज़ बाकी है।
इश्कानियत में तेरी, निकलने सभी जज़्बात बाकी है।
और तुझसे जो कह न सका, अभी कहने वो सारे अल्फ़ाज़ बाकी है।
अभी पूरी तरह टूटा नहीं हूं मैं, टूटना हर एक साख बाकी है।
कल तो मेरा तूं हो नहीं पाया, होना तेरा आज बाकी है।
कोई आस नहीं तेरे वापस आने की, फिर भी एक आस बाकी है।
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