थोड़ा सा गुस्सैल हूँ, थोड़ा सा समझदार हूँ ! छात्र हूँ वाणिज्य का और पूर्ण भारतीय बेरोजगार हूँ ! इस अंधकारमय जीवन मैं बिलकुल अकेला सा दिखता हूँ ! मंजर-ऐ-जहाँ मैं रास्ते के दरारों से भी सीखता हु ! ना जीवन से पूर्ण अवगत हूँ, ना ज्ञान से परिपूर्ण हूँ, टूटी-फूटी भाषा मैं अपने भावों को पन्नों पर लिखता हूँ ! मौसम-ऐ-इश्क़ के बारिशों मैं, प्रेम की सियाही से, कोरे कागजों को शब्दों से भिंगोना काम है मेरा ! दिल के जख्मो को करता हूँ तब्दील अल्फाजों मैं , और ÃJ_Ăňüp नाम hai मेरा !! बेखौफ़ हूँ, बेअशर हूँ और बहिसाब हूँ मैं, ! कुछ लोगों को पसंद भी हूँ, कुछ की नजरों मैं नाकामयाब हूँ मैं, ! हुज्जत-ऐ-तालीम वो समझ नहीं पाते वरना खुली हुई किताब हु मैं !! => ÃJ_Ăňüp💓
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