प्रिय डायरी दिन, महीने,साल गुज़र जाते हैं,
पर कुछ पलछिन ज़हन में बस जाते है...,
यूं तो संग चलते- चलते , हम उन दिनों को कहीं पीछे छोड़ आते हैं,
लेकिन क्या उस सफ़र के यादों से मुंह मोड़ पाते हैं...,
ज़रा सुनने दो इन पत्तियों की सरसराहट, भंवरो की गुनगुनाहट,
हां, सच है कि ये भी दे रहें हैं नए सफ़र की आहट...,
इस आहट में कुछ खुशियों के बुलबुले हैं, तो कुछ खट्टी मीठी यादों के सिलसिले हैं...,
ये ज़िन्दगी क्या है?
बस आजमाइशों का सफ़र है,
इक पार कर लिया , फिर एक नई डगर है...,
नई डगर में बीते लम्हों की मीठी यादें संजो कर,
चल चलें, नए साल के अनजानी डगर पर..!!✍🏻 कीर्ति...
🌸💐💞 नव वर्ष मंगलमय हो🙏😊
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